शिलांग हिंसाः प्रशासन ने एफकेजेजीपी के खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी, प्रदर्शनकारियों ने किया था उपद्रव

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शिलांग (मेघालय):  खासीपहाड़ जिला प्रशासन ने पैदल चलने वाले राहगीरों पर हमला करने के लिए फेडरेशन ऑफ खासी जयंतिया एंड गारो पीपुल (एफकेजेजीपी) के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है।

शुक्रवार को राजधानी शिलांग में फेडरेशन ऑफ खासी जयंतिया एंड गारो पीपुल (एफकेजेजीपी) के बैनर तले विरोध मार्च निकाला गया था, इस दौरान एफकेजीजीपी प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर जमकर उपद्रव किया और वहां से गुजरने वाले गैर आदिवासी राहगीरों को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ की थी।

शनिवार को मिली जानकारी के अनुसार एफकेजेजीपी के सभी प्रमुख नेता वर्तमान में भूमिगत हो गये हैं। उन्होंने स्थानीय मीडिया को एक वीडियो संदेश जारी कर घटना के लिए खेद जताया है।

वहीं, राज्य के विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि शुक्रवार को हुई घटना पूरी तरह से अराजक थी। कुछ नागरिक समाज समूह और व्यक्ति इस घटना को लेकर बेहद गुस्से में हैं। उनका कहना है कि अदालत को लक्षित हिंसा और प्रशासनिक चूक का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने कहा कि घटना के दौरान कानून-व्यवस्था तंत्र पूरी तरह से कमजोर दिखा।

उल्लेखनीय है कि प्रशासन से मंजूरी लेकर शुक्रवार को निकाले गए इस मार्च में शामिल एफकेजेजीपी सदस्यों ने पैदल जा रहे गैर आदिवासी राहगीरों पर अचानक जानलेवा हमला करते हुए उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस दौरान कई स्कूटर, बाइक और चार पहिया वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया।

घटना के बाद पूर्वी खासी हिल्स जिलाधिकारी इसवंदा लालू ने शिलांग शहर में आयोजित रैली और जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए एफकेजेजीपी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है। जिलाधिकारी इसावंदा लालू ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

मेघालय में बेरोजगारी के खिलाफ फेडरेशन ऑफ खासी जयंतिया और गारो पीपुल के नेताओं, कार्यकर्ताओं और सदस्यों ने शुक्रवार को मोटफ्रान क्षेत्र में बैठक की। बैठक के बाद करीब 300 नेताओं, कार्यकर्ताओं और सदस्यों ने दोपहर में शहर की मुख्य सड़कों पर जुलूस निकाला। लेकिन जब जुलूस में शामिल कुछ युवकों ने बिना किसी उकसावे के झंडे की लाठियों से पैदल चलने वालों और स्कूटर सवारों को परेशान करने की कोशिश की तो स्थिति अचानक हिंसक हो गई। जुलूस में शामिल हमलावरों को समझाने में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि, मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही। उपद्रवी जमकर उत्पात मचा रहे थे। उनके निशाने पर गैर जनजाति लोग थे। जो भी सामने दिखा उसकी पिटाई कर दी गयी।

इस बीच, पुलिस प्रशासन ने एफकेजेजीपी के जुलूस की सूचना मिलने के बाद शिलांग के मुख्य वाणिज्यिक क्षेत्र पुलिस बाजार को पहले ही बंद करा दिया था। बावजूद इतनी बड़ी हिंसक घटना घटी, जिसको रोकने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रही।

उल्लेखनीय है कि जुलूस की शुरुआत मोटफ्रान से हुई थी। हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने सरकार से रोजगार के अधिक अवसर दिए जाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। विरोध मार्च का समापन मदन आयुरिंगहेप, फायर ब्रिगेड, लैतुमखराह में हुआ। वहां प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर फिर से बैठक की।

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