झारखंड के निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की तैयारी

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-चेंजमेकर बन रहे हैं मॉडल स्कूल के शिक्षक

-अजीम प्रेमजी फाउंडेशन कर रहा शिक्षकों का क्षमतावर्धन

रांची:  झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चों को निजी स्कूल की तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए राज्य के आदर्श विद्यालय कार्यक्रम में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने इन स्कूलों के शिक्षकों को चेंजमेकर के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके लिए मॉडल स्कूल में पढ़ाने वाले प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को अजीम प्रेमजी फाउंडेशन भी प्रशिक्षण प्रदान दे रहा है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम चरण में विशेष तौर पर अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय पर ध्यान दिया जा रहा है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को आदर्श विद्यालय के स्कूल हेडमास्टर, डाइट फैकल्टी, विषय विशिष्ट मास्टर ट्रेनर्स एवं प्रमुख हितधारकों के क्षमता वृद्धि कार्यक्रम की अवधारणा और संचालन के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन सहयोग कर रहा है। गौरतलब है कि मॉडल स्कूल के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को आईआईएम जैसे संस्थान भी प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

10 माह की रुपरेखा तैयार

इस कार्यक्रम के तहत राज्य के करीब चार हजार मॉडल स्कूलों के लिए एक प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कार्यशालाओं की एक श्रृंखला के माध्यम प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रशिक्षण के पहले चरण में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने चेंजमेकर के रूप में चिह्नित 80 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ 10 महीने के व्यापक प्रशिक्षण की रूपरेखा के तहत स्कूल के लिए बेहतर विजन विकसित करना, स्कूल में गुणवत्ता में सुधार, गुणवत्ता सुधार के लिए नेतृत्व क्षमता में वृद्धि, सीखने की संस्कृति का विकास और सीखने के माहौल का निर्माण समेत अन्य प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

ये भी होगा कार्य

10 माह के प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं की योजना बनाई गई है। इसके जरिये माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर यानी नौवीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की विषय विशेषज्ञता की पहचान की जाएगी। 150 डाइट संकायों के लिए व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें डाइट्स के विज़ुअलाइज़ेशन और कार्य के विवरण को शामिल किया जायेगा। इस योजना के तहत प्रत्येक 5 दिनों में कुल तीन कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जहां अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और विज्ञान के 200 विषय विशिष्ट मास्टर प्रशिक्षकों की क्षमता विकसित करने का कार्य होगा।

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