भारतीय टीम की काबुल यात्रा का तालिबान सरकार को मान्यता देने से कोई संबंध नहीं

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नई दिल्ली:  भारत ने कहा है कि अफगानिस्तान में उसकी ओर से दी जा रही मानवीय सहायता के वितरण की देखरेख के लिए अधिकारियों का एक दल काबूल गया है लेकिन इस दौरे को अफगानिस्तान को राजनयिक मान्यता दिए जाने से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को एक साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में बताया कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) जेपी सिंह काबुल यात्रा पर गए भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रवक्ता ने भारतीय दल के अन्य सदस्यों तथा उनके द्वारा भ्रमण किए जाने वाले स्थानों का ब्यौरा नहीं दिया।
प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय दल मुख्य रूप से मानवीय सहायता के वितरण में लगी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे विश्व खाद्य कार्यक्रम और यूनिसेफ के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी। भारतीय अधिकारी अफगानिस्तान में भारत की ओर से चल रही विकास परियोजनाओं के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि अफगानिस्तान को राजनयिक मान्यता देने के मुद्दे पर भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अगस्त में अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास और मिशनों के भारतीय कर्मचारियों वापस बुला लिया गया था। इन मिशनों में कार्यरत स्थानीय अफगान नागरिक राजनयिक संस्थानों की देखभाल कर रहे थे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार दौरे के दौरान टीम मानवीय सहायता के वितरण में शामिल अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी। इसके अलावा, टीम के विभिन्न स्थानों का दौरा करने की भी उम्मीद है जहां भारतीय कार्यक्रम या परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।
मंत्रालय के अनुसार भारत की सहायता को अफगान समाज व्यापक रूप से सराहना मिल रही है। मानवीय सहायता के मसलों पर चर्चा के लिए भारतीय टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से बातचीत करेगी । भारत के अफगान नागरिकों से ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं और ये लंबे समय से चले आ रहे संबंध हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत अफगान लोगों को मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है। इस प्रयास में भारत 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड वैक्सीन की 5 लाख खुराक और सर्दियों के कपड़े पहले ही भेज चुका है। इन्हें काबुल स्थित इंदिरा गांधी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल और डब्ल्यूएचओ या डब्ल्यूएफपी सहित संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसियों को सौंप गया था। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान को अधिक चिकित्सा सहायता और खाद्यान्न भेजने की प्रक्रिया में भी है।
भारत ने ईरान को अफगान शरणार्थियों के लिए कोवैक्सिन की दस लाख खुराकें दी गई हैं। यूनिसेफ की सहायता के लिए पोलियो वैक्सीन की लगभग 6 करोड़ खुराक और दो टन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की गई है।

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